Monday, January 31, 2011

ईश्वर सर्वशक्तिमानी: रघुबीर

सिरसा,(थ्री स्टार): अखिल भारतीय श्री राम-मुलख-दयाल योग प्रचार समिति के प्रधान योगाचार्य ध्यानयोगी गुरू रघुबीर महाराज ने मासांत हवन सत्संग के मौके पर अनेकों योग प्रेमियों को दिव्य योग साधना मन्दिर कोटली में फरमाया कि ईश्वर एक है। ईश्वर के साथ एक होने की साधना का नाम योग है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की देन है। ईश्वर जगतपिता हैं। हम सब उसके बच्चे हैं। ईश्वर सर्वव्यापक है, ईश्वर धरा के कण-कण में विद्यमान हैं। वे जड़ में भी हैं और चेतन में भी हैं, ईश्वर हर जगह हैं। ऐसी कोई जगह नहीं है जहां वे नहीं। वे प्रत्येक मनुष्य के भीतर भी हैं। प्रभु इतने सूक्ष्म हैं कि कोई भी उन्हें स्थूल चक्षुओं से नहीं देख सकता। उस प्यारे प्रभु को देखने के लिए दिव्य चक्षुओं की परम आवश्यकता है। दुनिया के किसी भी यंत्र से ईश्वर को नहीं देखा जा सकता। रघुबीर महाराज ने अपने प्रवचनों का प्रवाह जारी रखते हुए फरमाया कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है। उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उनकी आज्ञा से यह संसार चलायमान है। उस प्यारे प्रभु को पूर्ण योगी सतगुरू की कृपा से ढूंढा जा सकता है। जब सद्गुरू कृपा करते हैं तो मनुष्य अंतर्मुखी होता है और अंतर्मुखी होने पर ही ईश्वर की खोज प्रारम्भ होती है। ईश्वर मनुष्य की नस-नस में समाया हुआ है। जब मनुष्य सद्गुरू की कृपा से उस प्यारे प्रभु से एक होता है तब परम आनन्द की अनुभूति के साथ-साथ परम पद की प्राप्ति होती है। रघुबीर महाराज ने फरमाया कि ईश्वर को अपने भीतर से खोजना और उसके साथ एक हो जाना ही योग का चरम लक्ष्य है। इस पवित्र मौके पर केवल कृष्ण ठकराल, आचार्य साधुराम, दर्शन सिंह, जितेन्द्र, खेमचन्द, जितेन्द्र चावला, पृथ्वी सिंह बैनीवाल, बृजमोहन, अरूण चौधरी, नानक मिस्त्री, लक्ष्मण सिंह, चन्द्र एवं शुभम सहित अन्य भक्तजन मौजूद थे।

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