Tuesday, February 21, 2012

किसी भी कार्य को सफलतापूवर्क करने के लिए एकाग्रता का होना जरूरी: साध्वी सुश्री ईश्वरी भारती

सिरसा,(थ्री स्टार): दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आरपी सीनियर सैकेंडरी स्कूल खैरेकां में सर्व श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री ईश्वरी भारती ने बच्चों को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए कुछ बेहतरीन सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि जैसे एक पिस्तौल से जब गोली निकलती है तो गन पाऊडर से बनने वाली ऊर्जा का एक दिशा में केंद्रित होना जरूरी है। यदि वह ऊर्जा केंद्रित होकर अलग अलग दिशाओं में बिखर जाए, तो पिस्तौल से निकलने वाली गोली कभी भी लक्ष्य को नही भेद सकती। कहने का मतलब हमारा ध्यान हर समय चारों दिशाओं में बिखरा होता है और कहते है , अगर आप दो खरगोशों को एक साथ पकडऩे चलेंगे तो दोनों ही हाथ से छूट कर भाग जाएंगे। फिर हम तो दो नहीं बल्कि कई खरगोशों को एक साथ पकडऩे की चेष्टा करते हैं। अत: किसी भी कार्य को सफलतापूवर्क करने के लिए एकाग्रता का होना बहुत जरूरी है। एकाग्रता को अंग्रेजी में कांन्सेंटे्रशन कहते हैं। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। सबसे पहले तो कोई भी चीज रटने की बजाए उसे समझ कर याद किया जाए क्योंकि रट्टा कभी भी भूल सकता है। दूसरा शारीरिक मानसिक स्थिति ठीक होनी चाहिए इसके लिए योगा, प्राणायाम और पोष्टिक भोजन ग्रहण करें। चौथा कार्य टेंशन समझ कर करे और कभी भी दूसरों से तुलना करें। सिर्फ लक्ष्य में एकाग्रता रखें। परंतु यहां एक मुख्य प्रश्र उठता है कि पूर्ण एकाग्रता कैसे हासिल करें। जब ब्रहमज्ञान की शश्वत विधि द्वारा ईश्वर में दिव्य प्रकाश का साक्षात्कार करते हैं तो यह प्रकाश एक शक्तिशाली चुंबक की भांति काम करता है। इस प्रकाश का संग करने पर विचारों के रूप में बिखरी हमारी समस्त ऊर्जा स्वत: ही इसमें केंद्रित होती चली जाती है। साथ ही जब नकारात्मक विचार इस दिव्य प्रकाश के संपर्क में आते हैं तो वे हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं। इस प्रकार हमारा अत: करण स्वच्छ निर्मल एवं समृद्ध बनता है। इस केंद्रित ऊर्जा सेफिर हम जो भी कार्य करते हैं उसमेें सफलता हमारे कदम चूमती है।

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