Tuesday, February 21, 2012

भगवान शंकर नर में नारायण हैं: रघुबीर

सिरसा,(थ्री स्टार): अखिल भारतीय श्री राम-मुलख-दयाल योग प्रचार समिति के प्रधान योगाचार्य परम श्रद्धेय ध्यानयोगी गुरू रघुबीर जी महाराज ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दिव्य योग साधना मन्दिर कोटली में उपस्थित साधकों को अपने सम्बोधन में फरमाया कि भगवान शंकर नर में नारायण हैं। उनकी पवित्र मूर्त को देखते ही ध्यान लगने लग जाता है तथा शरीर में एक दिव्य मस्ती का अनुभव होने लगता है। उनका ध्यान करने से पाप स्वत: ही जलते हैं और पुण्यों का विस्तार होता है। पाप मनुष्य को गिराते हैं और पुण्य स्वर्ग की ओर लेकर जाते हैं। उनकी महिमा अपरम्पार है। रघुबीर महाराज ने अपने प्रवचनों का प्रवाह जारी रखते हुए फरमाया कि शकंर भगवान ने काम को जीता है। वे आदर्श गृहस्थ हैं। उनके परम पवित्र जीवन से भारतीय समाज को यह प्रेरणा मिलती है कि भोले भगवान की तरह हम भी गृहस्थ में रहकर ईश्वर को प्राप्त कर सकते हंै। महाशिवरात्रि का अर्थ यह है कि महाशिवरात्रि भोग में नहीं भजन में गुजारो। गृहस्थी का अधिकांश सुख व खुशियां ब्रह्माचर्य व संयम पर निर्भर करता है। काम ही ज्ञान मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। काम को वश में करके जीवन में ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है और ज्ञान को मिटाया जा सकता है। जिस घर में काम है उसमें राम नहीं, जिसमें राम है उसमें काम नहीं। काम मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, वह मनुष्य को दूर ले जाता है और जीवन को बाहरी नश्वर संसार में भटकाता रहता है। काम मनुष्य को अंतर्मुखी नहीं होने देता, कामी व्यक्ति का अंत निश्चय से ही दुखदायी है। दुनिया काम को जगाना तो जानती है लेकिन इसको वश में करना नहीं जानती। काम को गुरू कृपा से जीता जा सकता है। रघुबीर महाराज ने अंत में फरमाया कि काम से बचो और भोले भगवान का ध्यान नित-प्रतिदिन लगाओ और जीवन को आनंंदमय बनाओ। इस पवित्र मौके पर प्रधान केवल कृष्ण ठकराल, जितेन्द्र चावला, सरदार दर्शन सिंह, जितेन्द्र मास्टर, प्रताप चन्द चावला, पृथ्वी सिंह बैनीवाल, नानक चन्द, रामेश्वर बीरड़ा, चन्द्र मेहता, सूरजभान गुज्जर, जीता प्रेमी आदि भक्तगण मौजूद थे। अंत में सभी भक्तों में प्रसाद वितरित किया गया।

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